विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर में बसाना? जाग तुझको... विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर म...
आँसुओं का कोष उर, दृग अश्रु की टकसाल, तरल जल-कण से बने घन-सा क्षणिक मृदुगात; जीवन विरह का जलजात! आँसुओं का कोष उर, दृग अश्रु की टकसाल, तरल जल-कण से बने घन-सा क्षणिक मृदुगात; ज...
वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी, वह हँसी बहुत कुछ कहती थी, फिर भी अपने में रहती थी,
लक्ष्य को प्राप्त करने हेतू, मुझमें नव उत्साह भर दे। लक्ष्य को प्राप्त करने हेतू, मुझमें नव उत्साह भर दे।
फागुन की शाम मजनू निकला लैला की तलाश में फागुन की शाम मजनू निकला लैला की तलाश में
यादें दिल को सुकून दे जाती हैं, दिल को सुकून दे जाती हैं यादें। यादें दिल को सुकून दे जाती हैं, दिल को सुकून दे जाती हैं यादें।